Shark Tank India-3: जिम को घर लाता है ये Startup, टीवी जैसा डिवाइस करता है सब, यूनीक टेक्नोलॉजी देख पैसे लगाने को टूट पड़े शार्क
कैसा हो अगर आप जिम को अपने घर पर ही ले आएं? वो भी थोड़ी सी जगह में. एक ऐसा ही यूनीक आइडिया लेकर शार्क टैंक के तीसरे सीजन (Shark Tank India-3) में फंडिंग (Startup Funding) मांगने पहुंचा स्टार्टअप Aroleap, जिसे फोर शार्क डील मिली. आइए जानते हैं इसके बारे में.
आज के वक्त में हर कोई फिट रहना चाहता है. कोई अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए फिट होना चाहता है, तो कोई अच्छी लुक पाने के लिए फिट रहना चाहता है. यहां एक दिक्कत जो अधिकतर लोगों को महसूस होती है, वह है समय की कमी. कुछ लोगों के पास जिम जाने का वक्त नहीं होता है तो कुछ जिन जाना ही नहीं चाहते हैं. कुछ लोगों को घर में जिम सेटअप करना महंगा लगता है, तो कुछ के पास जगह की कमी होती है. तो कैसा हो अगर आप जिम को अपने घर पर ही ले आएं? वो भी थोड़ी सी जगह में. एक ऐसा ही यूनीक आइडिया लेकर शार्क टैंक के तीसरे सीजन (Shark Tank India-3) में फंडिंग (Startup Funding) मांगने पहुंचा स्टार्टअप Aroleap, जिसे फोर शार्क डील मिली. आइए जानते हैं इसके बारे में.
Aroleap की शुरुआत अमन राय (COO), रोहित पटेल (CEO) और अनुराग दानी (CTO) ने की है. यह एक ऑल इन वन वॉल माउंटेड डिवाइस है, जिस पर आप स्क्वैट्स, डेडलिफ्ट और बेंचप्रेस जैसी तमाम एक्सरसाइज कर सकते हैं. यह एक फ्लैट स्क्रीन टीवी जैसा डिवाइस है, जो बहुत ही कम जगह में फिट हो जाता है. इसमें पेटेंट की गई डिजिटल वेट टेक्नोलॉजी है, जिसकी मदद से आप अपने मन मुताबिक वजन सेट कर के कसरत कर सकते हैं. इसके चलते हाई लोन पर एक्सरसाइज करने से इंजरी होने के चांस भी खत्म हो जाते हैं. इस वेट स्टीमुलेशन टेक्नीक को भारत में पेटेंट भी मिला हुआ है.
कंपनी के फाउंडर्स स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के लिए ऐसे स्मार्ट डिवाइस का एक ईकोसिस्टम बनाना चाहते हैं. उनका विजन है कि अगले 3 सालों में कम से कम 1 लाख घरों में ये स्मार्ट डिवाइस पहुंचे. तीनों फाउंडर एक शहर के रहने वाले हैं.वह एक ही स्कूल और एक ही कॉलेज (आईआईटी दिल्ली) से पढ़े हैं. अमन को मैराथन का शौक है. रोहित स्ट्रेंथ ट्रेनिंग में हैं. अनुराग को रनिंग का शौक है और वह वेट लिफ्टिंग भी करते हैं.
दीवार पर लगी टीवी जैसा है ये डिवाइस
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जब तीनों दोस्त इस प्रोडक्ट को लेकर रिसर्च कर रहे थे, तो उन्होंने पाया कि घर पर जिम सेटअप करने में एक बड़ा रूम लगता था और वह काफी महंगा भी पड़ता है. उस वक्त आइडिया आया क्यों ना कि वेट की प्लेट्स को एक डिजिटल मोटर में बदल दिया जाए. उसी मोटर से रेसिस्टेंस जनरेट कर के वेट कम ज्यादा किया जा सकता है. इसमें जो मोटर है, उसके रेसिस्टेंस से वेट जनरेट करते हैं. अगर वेट बहुत ज्यादा लगने लगता है तो वह खुद व खुद वेट को कम कर देता है, जो ठीक वैसे ही काम करता है, जैसे आपको जिम में वजन भारी लगने पर ट्रेनर की ओर से कुछ सपोर्ट दिया जाता है. यह डिवाइस दिखने में दीवार पर लगी एक टीवी जैसा है और जब आप एक्सरसाइज नहीं करते हैं, तो जगह भी एक एलईडी टीवी जितनी ही घेरता है.
कैसे काम करती है ये मशीन?
मशीन को जब इस्तेमाल करना होता है तो आप मशीन के दो हाथ जैसे हैंडल को बाहर कर के अलग-अलग पोजीशन में सेट कर सकते हैं. इन पर एक हुक होता है, जिस पर आप अलग-अलग एसेसरीज लगा सकते हैं. इसके साथ कंपनी की तरफ से रोप, एंकल स्ट्रैप, बारबेल और फ्लैट बेंच जैसी एसेसरीज दी जाती हैं. उस पर आप एक पैडल दबाकर वेट तय कर सकते हैं, उसके बाद एक्सरसाइज कर सकते हैं.
स्क्रीन पर दिखेगा पावर ग्राफ
आप अपने सामने स्क्रीन पर ये भी देख सकते हैं कि आपकी रेप्स कितनी हो रही हैं, आपका पेस क्या है और पावर ग्राफ भी आपके सामने दिखेगा. जैसे-जैसे आप थकते जाएंगे, ग्राफ नीचे जाता जाएगा. इसके हिसाब से जब अगली बार आप दोबारा वो एक्सरसाइज करेंगे तो मशीन खुद ही आपको वेट रिकमेंड करेगी. इसके जरिए आप बाइसेप्स, ट्राईसेप्स समेत हाथ ही तमाम एक्सरसाइज कर सकते हैं. इस मशीन के सामने बेंच लगाकर आप बेंचप्रेस भी कर सकते हैं.
कहां-कहां इस्तेमाल हो रहा है ये प्रोडक्ट?
कंपनी का टारगेट आम लोग हैं, लेकिन होटल जिम, फिजियोथेरेपी क्लीनिक्स में भी इसका इस्तेमाल हो रहा है. जिम वालों का सबसे ज्यादा रेवेन्यू पर्सनल ट्रेनिंग से आता है, जबकि ये डिवाइस पर्सनल ट्रेनर को ही हटाने का काम कर रहा है, जिसके चलते जिम इस मशीन के ग्राहक नहीं बन रहे हैं. अधिकतर लोग स्पॉटर मोड इस्तेमाल करते हैं. वहीं बहुत सारे लोग डीआईवाई मोड इस्तेमाल करते हैं, यानी वह अपना खुद का कोई मोड कस्टमाइज तरीके से तैयार कर सकते हैं. इस कैटेगरी को कनेक्टेड फिटनेस कहा जाता है.
कितने रुपये का है ये डिवाइस?
भारत में अभी इसका बहुत ही छोटा मार्केट है. अमेरिका में इसका करीब 4 अरब डॉलर का मार्केट है. इस प्रोडक्ट की कीमत भारत में अभी 1.60 लाख रुपये+जीएसटी है. भारत के हिसाब से यह कीमत काफी ज्यादा है, लेकिन अमेरिका के हिसाब ये यह बहुत ही कम है. राइवल कंपनियां करीब 4-5 लाख रुपये में इस तरह के डिवाइस अमेरिकन मार्केट में बेचती हैं. इस कंपनी का फोकस भी अमेरिका है, ताकि मोटी कमाई की जा सके.
कितनी कमाई कर रहा ये बिजनेस?
अगर पिछले साल यानी 2022-23 की बात करें तो सिर्फ भारत में बिजनेस से ही कंपनी ने 1 करोड़ रुपये की कमाई की थी. वहीं इस साल यानी 2023-24 में कंपनी का अनुमान 3-3.5 करोड़ रुपये कमाने का है. अभी तक कंपनी पैसा बर्न कर रही थी, लेकिन इस साल के खत्म होने तक करीब 30 लाख का मुनाफा कमाने का अनुमान है.
कितनी मिली फंडिंग?
अक्टूबर 2021 में कंपनी ने सीड राउंड के तहत 25 करोड़ रुपये के वैल्युएशन पर 5 करोड़ रुपये जुटाए थे. शार्क टैंक इंडिया में इस स्टार्टअप ने 40 करोड़ रुपये की वैल्युएशन पर 2.5 फीसदी के बदले 1 करोड़ रुपये की मांग रखी. नमिता तो इस डील से आउट हो गईं, लेकिन बाकी चारों शार्क ने ऑफर दिए. पहले अजहर और अमित ने 25 करोड़ के वैल्युएशन पर 2 फीसदी के बदले 50 लाख रुपये और बाकी का 50 लाख रुपये 12 फीसदी ब्याज दर पर 3 साल के लिए कर्ज देने का ऑफर दिया. बाद में उन्होंने ऑफर रिवाइस कर के 1 करोड़ रुपये के बदले 4 फीसदी स्टेक मांग.
वहीं दूसरी ओर अनुपम मित्तल ने एक कंडीशन के साथ ऑफर दिया कि कंपनी को फिजियोथेरेपी मार्केट पर पहले फोकस करना होगा. इसके साथ उन्होंने 25 करोड़ रुपये की वैल्युएशन पर 4 फीसदी के बदले 1 करोड़ रुपये देने का ऑफर दिया. बाद में पीयूष बंसल भी अनुपम के इस ऑफर में जुड़ गए. अंत में 20 करोड़ रुपये की वैल्युएशन पर 5 फीसदी के बदले चारों शार्क ने मिलकर 1 करोड़ रुपये निवेश किए. इस फोर शार्क डील में अनुपम मित्तल, अमित जैन, पीयूष बंसल और अजहर इकबाल हैं.
01:21 PM IST